गोगोई ने कहा, “वह (अश्विनी वैष्णव) ‘बेपटरी मंत्री’ हैं, पिछले दो सालों में कितनी ट्रेनें पटरी से उतरी हैं? पिछले दो महीनों में 4 मालगाड़ियां पटरी से उतरी हैं। उन्हें बालासोर की घटना में लगभग 300 लोगों की मौत की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए था।”
विपक्ष की आलोचना के जवाब में वैष्णव ने संसद में कहा, “हम रील बनाने वाले लोग नहीं हैं, हम कड़ी मेहनत करते हैं, न कि आप लोग जो दिखावे के लिए रील बनाते हैं।” उन्होंने रेलवे को देश की जीवन रेखा और देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण संगठन के रूप में महत्व दिया। वैष्णव ने संसद सदस्यों से रेलवे का राजनीतिकरण न करने और देश के हित के लिए इसके सुधार पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की।
रेल मंत्री ने रेलवे सुरक्षा के मामले में पिछली यूपीए सरकारों के खराब रिकॉर्ड की ओर भी इशारा किया। उन्होंने सवाल किया कि 58 साल के अपने कार्यकाल के दौरान वे 1 किलोमीटर तक भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) क्यों नहीं लगा पाए।
गुरुवार को विपक्षी बेंचों की ओर से व्यवधान और “रील मिनिस्टर” के नारों के बीच, वैष्णव ने तीखी प्रतिक्रिया दी, “हम रील बनाने वाले लोग नहीं हैं, हम मेहनत करने वाले लोग हैं। जो लोग यहां चिल्ला रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि 58 साल तक सत्ता में रहने के दौरान वे 1 किमी दूर भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) क्यों नहीं लगा पाए। आज वे सवाल उठाने की हिम्मत कर रहे हैं।”
यह टिप्पणी हाल ही में हुए रेल हादसों के मद्देनजर आई है। 30 जुलाई को झारखंड के चक्रधरपुर के पास हावड़ा-सीएसएमटी एक्सप्रेस के कई डिब्बे पटरी से उतर जाने से दो लोगों की मौत हो गई थी। इससे पहले 2 जून को चेन्नई जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस, हावड़ा जाने वाली शालीमार एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के बीच हुए तीन रेल हादसों में 291 लोगों की जान चली गई थी और 1000 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे।
17 जून को एक अन्य घटना में न्यू जलपाईगुड़ी के निकट एक मालगाड़ी और सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के बीच टक्कर हो गई, जिसमें कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई तथा 25 से अधिक लोग घायल हो गए।